"सिंहासन खाली करो कि जनता आती है"
सकारात्मक विचारों और गरिमामयी अनुभूतियों से ओत-प्रोत संकल्पों के साथ राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ स्मृति न्यास ने साहित्य एवं समाज के सूर्य राष्ट्रकवि दिनकर के विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया। दिनकर का व्यक्तित्व और कृतित्व जन-चेतना का संवाहक है। देश के शिक्षाविद्, संस्कृतिकर्मी, पत्रकार, कलाकार, राजनेता, किसान, नौजवान, आदि से परामर्श एवं सुझाव लेकर न्यास के गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया। गणमान्य व्यक्तियों के मार्गदर्शन में 23 सितम्बर, 1990 को (दिनकर जी के 85वीं जन्मदिवस के सुअवसर पर) राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ स्मृति न्यास का विधिवत् गठन हुआ। वास्तव में दिनकर जैसे निष्काम कर्मयोगी, जिनका जीवन मानवता एवं साहित्यिक उन्नयन के लिए समर्पित था, के नाम पर न्यास का नामकरण गौरव की बात है जनचेतना के उद्घोषक, क्रांतिवीर, राष्ट्रकवि दिनकर आजीवन ज्ञान साधना में रहते हुए अपनी अद्भुत साहित्यिक सृजनशीलता के द्वारा ज्ञान की मशाल जलाकर जनमानस को आलोकित करते रहे।
राष्ट्रकविरामधारीसिंह ‘दिनकर’ स्मृति न्यास विगत 35 वर्षों से दिनकर के सपनों को साकार करने तथा सबल, आत्मनिर्भर समृद्ध एवं सांस्कृतिक भारत के निर्माण में अनवरत प्रयासरत है। दलित-शोषित, पीड़ित और वंचित वर्ग की समृद्धि और खुशहाली के लिए न्यास का यह प्रयास है कि इन्हें इनका हक मिल सके और हाशिए पर डाल दिए गए प्रत्येक व्यक्ति को समाज में उसका सही स्थान प्राप्त हो सके। राष्ट्रकवि ‘दिनकर’ ने कहा हैः
छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाये,
मत झुको अनय पर, भले व्योम फट जाये।
राष्ट्रकविरामधारीसिंह ‘दिनकर’ स्मृति न्यास ने शैशवकाल से लेकर किशोरावस्था तक की यात्र दुर्गम, पथरीले और बीहड़ रास्तों से होकर पूरी की है। इस यात्र में अनेक कार्यक्रम मील का पत्थर साबित हुए हैं, जैसे - हिंदी विकास यात्र, पुस्तक संस्कृति महोत्सव, गीतांजलि महोत्सव, रवीन्द्र सांस्कृतिक महोत्सव, सूर्य महोत्सव, रश्मिरथी महोत्सव, सद्भावना महोत्सव, भारतीय शिक्षा-संस्कृति महोत्सव, सैकड़ों सेमिनार, यात्र, संवाद आदि कार्यक्रम भारत के विभिन्न राज्यों में भव्य तरीके से आयोजित किये गये हैं। न्यास सांस्कृतिक एवं समृद्ध भारत के निर्माण के लिए अनवरत कार्य कर रहा है। इस अभियान को देशभर के कलाकार, शिक्षाविद्, अध्यापक, राजनेता, स्वयंसेवी, किसान, नौजवान एवं समाज के सभी तबके के लोगों का रचनात्मक सहयोग एवं सान्निध्य मिल रहा है।